सपने तेरे मेरे


                      सपने तेरे मेरे 

ज़िन्दगी कब किस मोड़ पर ले  आए किसी को पता नहीं लगता
आज पूरी दुनिया अपनी मंज़िलो को छोड़कर सिर्फ अपनी ज़िन्दगी
को बचाने की जददोजहद में लग गई
कुछ इस माहौल में भी कइयों के घर लूट रहे हैं
कुछ अभी अपनी जिंदगी से भी अंजान हैं की हो क्या रहा है

प्रकृति भी सोच रही है हर दिन मुझे जलाने वाले अब किधर दुबक
कर बैठे हैं, पेड पोधे, जीव जंतु पशु पक्षी हजारों समुद्री जीव अपने 
आप को कितना  आनंदमय महसूस कर रहे होंगे ।

वैसे सोचने की बात है, वो लोग जो हर दिन अपने अहंकार से अपने
व्यवहार से कितनो का कत्ल कर देते थे आज कैसे अपनी मौत की 
आवाज़ सुनकर घरों में दुबक कर बैठे हैं 

सोचने की बात तो ये भी है कि भगवान ओर प्रकृति हम पर रहम क्यों
करे ? जब हम प्रकृति के बारे में रत्ती भर फीकर नहीं करते तो प्रकृति
या वो ईश्वर अब हमारी क्यों सुने ?
जीवन तो सबका अनमोल है मगर इंसान इतना मतलबी हो गया कि 
उसने प्रकृति का गला घोटना शुरू कर दिया जिसका नतीजा आज 
संपूर्ण विश्व भूगत रहा है
हमारी लड़ाईयां हमारा सिर्फ अपने आप के लिए सोचना हमारा सिर्फ 
अपने भविष्य के लिए सोचना हमें इतना अंधा कर गया कि हमने समय
से पहले प्रकृति को उस हाशिए पर पहुंचा दिया जहां वह युगों की दौड़
के बाद भी ना पहुंच पाती
आज हम सबके साथ जो भी हो रहा है उसका सीधा सा कारण हमारा
व्यवहार है अब भी समय है कि हम खुद को समझा लें ओर सही रास्ते
पर चलने लगें तो भविष्य के कुछ पल हम सुखद छांव में गुजार सकते
हैं।
धर्म जाति रंग भेद धरती देश इत्यादि वेर भाव जो हम खुद में बसाए
बैठे हैं आज उसका मुंह तोड़ जवाब इस प्रकृति ने हमें दिया है
उसने बताया है कि जब सब एक है तो ये भेदभाव किस नाम के
देख लिजिए कॉरॉना कोई भेद भाव तो नहीं कर रहा?
कहीं कोई रंग जाति का भेदभाव तो नहीं इसमें भी?
समय सबका आता है अबतक इंसान ने अपनी मन मर्ज़ी की
अब प्रकृति अपनी सेहत अपने भविष्य को सुखद पल देने के लिए हर
वो मापदंड अपना रही है जो उसके लिए ज़रूरी है।

धरती सूरज चांद तारे सब अपनी जगह रहकर अपना काम कर रहे हैं
मगर इंसान इस तरह रुक गया मानो अब अपाहिज हो गया हो... 
चांद सूरज आसमान से पार जाने तक के स्वपन मिट्टी की सतह पर 
आकर बैठ गए हैं। मानो या न मानो मगर ये होना भी ज़रूरी था, ज़रा
अपने इर्द गिर्द नज़र घुमाइए देखिए अब हवा कैसे स्वस्थ है देखिए पंछी
कैसे खुले साफ आसमान में अपने जीवन का आनंद ले रहे हैं...
देखिए वो सड़के जो दिन रात रबड़ से रगड़ खाकर बेरहमी से कुचल दी
जाती थी कैसे सुकून से अपने ज़ख्म भर रही हैं 
उन जीवों को देखिए जो बिना किसी हिचक के कत्ल खाने में काट दिए 
जाते थे, उन में में करती सुंदर प्रकृति की भेड़  बकरियों को देखिए 
जिनकी जिंदगी की कीमत हम तय करते थे।
उन पंछीयों को भी देखिए जिनकी आवाज़ से सूरज आसमान में लालिमा
बिखेरता है मगर उन्हें कहां पता होता था कब उनके जिस्म पर जल्लाद का
तेज़ धार हथियार चल जाए
आज वो भी सुकून की सांस ले रहे हैं जो हमने अपनी कैद में रखे हमारे वो
पल जो हमने कभी अपने आप को दिए ही नहीं, अपने वो सूख जो हमने 
खुद को दिए ही नहीं, अपना वो बेशकीमती समय जो ईश्वर के लिए लगाया 
ही नहीं बस भागते रहे जहां ये जग भगाता रहा
आज समय आया है सोचने का की जिंदगी है क्या? 
समझिए किसकी जरूरत है ओर कितनी जरूरत है?
वो अमीरी का दिखावा  करने वाले भी घरों में बंद हैं जिनके शोंख गरीबों
के ख्याल कुचलने के थे
वो धर्म के पहरेदार दुबक कर बैठ गए हैं कहीं उनका भविष्य किसी फोटो
में ना रह जाए
बड़े बड़े ईश्वर घर बंद हैं अगर  कुछ खुला है तो ईश्वर की भक्ति व उससे मिलने
का रास्ता जो आपके अन्तर्मन से होकर गुजरता है

ज़रा सोचिए ईश्वर ने हमें ये वक़्त क्यों दिया ऐसी कोनसी गलती हम कर आए
अपने गुज़रे वक़्त में की भविष्य की घड़ियों का आकाल पड़ गया हमारे जीवन
में 

क्या अब भी हम कुछ बदल सकते हैं?
अपना व्यवहार
अपना समाज
अपनी ज़िन्दगी
अपना नास्तिकपन 
अपना हर वो बुरा काम जो प्रकृति के विरूद्ध है

जीवन क्या है इसे समझने का इससे अद्भुत मौका कभी नहीं मिल सकता
हर वो कन जो हमसे जुड़ा है उसे एहसास कराइए की आपको उसकी फिकर
है, ये प्रकृति आपको जीवन जीने का एक ओर मौका दिन को तैयार है
आप वादा कीजिए आप इस प्रकृति को अब धोखा नहीं देंगे, अन्यथा प्रकृति 
ऐसा प्रलय दिखाएगी जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते, भूतो न भविष्य
ऐसा ना हुए होगा जो यह प्रकृति कर सकती है

अपनी जिम्मेवारी को समझिए ये प्रकृति आपको खुशियां देने को बेताब है

हर वो आदत त्याग दीजिए को प्रकृति के विरूद्ध है, सत्यता से अपने आप 
को इंसानी रूप में ढाल लीजिए

शब्दों से कहीं ज्यादा ताक़त आपके संकल्प में है, अपने आप को पहचानिए

प्रकृति को भी उसका जीवन जीने दीजिए
ये पंछी ये जीव ये धरती आसमां अपने हक की ज़िन्दगी आपसे मांग रहे हैं
अब इन्हें इनके जीवन की संपूर्णता में छोड़ दीजिए

ईश्वर सबका है जान सबमें है आज आपकी जान पर बनी है आपकी तड़प
कितनी है आप जान सकते हैं वैसी ही तड़प इनकी होती होगी जब आप इस
प्रकृति का गला अपने हाथों से घोंटते होंगे

शब्दों की माला आपके जीवन पर आकर रुक गई है अब आपका फैसला
इस प्रकृति का अंतिम फैसला होगा।

आपका मित्र प्रवीन 

Comments

  1. Great dear. You always deserve big.
    Pray you be a great achiever in life in your field.
    Good luck dear

    Praveen kr
    SRCP

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